कभी साथ तुमने तो कभी दिल ने ना दिया
हमें कुछ मज़बूरियों ने मिलने ना दिया
वक़्त का मरहम यूँ तो बहुत होता है
तेरी यादों ने मगर ज़ख्म सिलने ना दिया
..
नीलेश ओझा
तू मुझे छोड़ के क्या चला गया दोस्त
मेरी ज़िन्दगी का ज़ायका चला गया दोस्त
मेरी आँखों में आँसू तेरे चले जाने से थे
लोगों ने समझा इनमें कचरा चला गया दोस्त
~ नीलेश ओझा
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