नज़र आपकी हंसी को लगी,
और हम वही ठहर से गये।
बातें आपकी, धडकन को लगी,
और हम वही सहम से गये ||
यूं तो केहने को हम मिलते है हर शाम आपसे,,
मगर,
उस शाम की नज़ाक़त कुछ और थी,
उस शाम की ईबादत कुछ और थी।
जिस शाम,
हम आपके पास हुए,
और अपनी हर सांसे आपके नाम करते गये।
एक पन्ना देदो बस, कुछ बूंद स्याही के साथ,
तुझपर एक कहानी लिख डालूं मैं।
जो तू चले एक शाम, थामे हाथ मेरा,
उस एक वक़्त में पूरी ज़िन्दगी गुज़ार डालूं मैं ।
~अंकुर
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here