तुषार

तुषार "बिहारी"

जब भी तुम्हें सोच के लिखता हूं, इस दिल की तरह ये कलम भी धड़कती है । ✍🏻

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#शायरी #frinedsforever #Friendship #friends #Quote  पैसों से तोला जाए ऐसा ये संबंध नहीं,
"दोस्ती" हृदय का संबंध है बुद्धि का प्रबंध नहीं ।

©तुषार "बिहारी"

पैसों से तोला जाए ऐसा ये संबंध नहीं, "दोस्ती" हृदय का संबंध है बुद्धि का प्रबंध नहीं । : तुषार "बिहारी" #friends #frinedsforever #Friendship #shayari #Quote

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#RadhaKrishna #happyholi #लव #Quote  कृष्ण अगर हृदय है तो राधा उनकी धड़कन,
कृष्ण अगर कष्ट में है तो राधा को होती तड़पन ।
प्रेम के इस भाव को इंसान भला कैसे समझे,
जो प्रेम को सौदा समझे, ना समझे समर्पण ।

©तुषार "बिहारी"

कृष्ण अगर हृदय है तो राधा उनकी धड़कन, कृष्ण अगर कष्ट में है तो राधा को होती तड़पन । प्रेम के इस भाव को इंसान भला कैसे समझे, जो प्रेम को सौदा समझे, ना समझे समर्पण । : तुषार "बिहारी" #RadhaKrishna #Love #Quote #happyholi

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#शायरी #Happy_holi  इस दिल में एक मलाल रह गया,
उसके गालों पर गुलाल लगाना रह गया ।
यूं तो होली पर कभी मिलना ना हुआ हमारा; लेकिन,
उसके प्रेम का गुलाल मेरे चेहरे पर सदा के लिए रह गया ।

©तुषार "बिहारी"

इस दिल में एक मलाल रह गया, उसके गालों पर गुलाल लगाना रह गया । यूं तो होली पर कभी मिलना ना हुआ हमारा; लेकिन, उसके प्रेम का गुलाल मेरे चेहरे पर सदा के लिए रह गया । : तुषार "बिहारी" #Happy_holi

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#शायरी #होली #Happy_holi #Holi  इस दिल में एक मलाल रह गया,
तेरे गालों पर गुलाल लगाना रह गया ।
यूं तो होली पर कभी मिलना ना हुआ हमारा; लेकिन,
तेरे प्रेम का गुलाल मेरे चेहरे पर सदा के लिए रह गया ।

©तुषार "बिहारी"

इस दिल में एक मलाल रह गया, तेरे गालों पर गुलाल लगाना रह गया । यूं तो होली पर कभी मिलना ना हुआ हमारा; लेकिन, तेरे प्रेम का गुलाल मेरे चेहरे पर सदा के लिए रह गया । : तुषार "बिहारी" #Happy_holi #Holi #होली

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#शायरी #lifejourney #traveling #Train  कुछ सफ़र में नए अफसाने बन जाते है,
मंजिल आते ही वो अक्सर छूट जाते है ।

©तुषार "बिहारी"

कुछ सफ़र में नए अफसाने बन जाते है, मंजिल आते ही वो अक्सर छूट जाते है । : तुषार "बिहारी" #Life #lifejourney #Train #traveling #Shayari #Poetry

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#कविता #republicday2023 #RepublicDay #India  कितने ही शहीद हुए, कितनों ने गोली खाई,
कितने ही फांसी पर चढ़े, कितनों ने जान गंवाई ।

कतरा कतरा खून से लिखी गई कहानी है,
सेनानियों के बलिदानों की ये अमर कहानी है ।

दिन भर के अनेक संघर्षो से वो थकते नहीं थे,
अपनी मातृभूमि के खातिर जातियों में बंटते नहीं थे ।

हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब हुआ करते थे,
अनेक जातियां थी फिर भी वो भाई हुआ करते थे ।

अपनी परवाह किए बिना भविष्य नया लिख रहे थे,
स्वाधीनता का नया बीज इस मिट्टी में बो रहे थे ।

जोश और जुनून इस कदर सर पे चढ़ा होता था,
कांपते थे पैर दुश्मनों के जब देशभक्त खड़ा होता था ।

जो लड़ें ब्रिटिशी हुकूमत से हर वक्त सीना ताने,
झुके नहीं किसी के आगे वो भारत माँ के दीवाने ।

ना की परवाह अपनी, ना ही अपनों की,
फंदे पे लटका दी ख्वाहिशें यूहीं अपने सपनों की ।

देश के खातिर मर मिटने वाला हर एक शहीद अमर हुआ,
इसके खिलाफ़ जो खड़ा हुआ वो जीते जी दफ़न हुआ ।

©तुषार "बिहारी"

कितने ही शहीद हुए, कितनों ने गोली खाई, कितने ही फांसी पर चढ़े, कितनों ने जान गंवाई । कतरा कतरा खून से लिखी गई कहानी है, सेनानियों के बलिदानों की ये अमर कहानी है । दिन भर के अनेक संघर्षो से वो थकते नहीं थे, अपनी मातृभूमि के खातिर जातियों में बंटते नहीं थे ।

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