x को भी जो zero कर दे वक़्त की वो ताकत हो तुम, जोड़ घटा ज्यदा आदत नहीं है अपनी, मगर हर गम फिर भी ईबादत हो तुम ,सवाल ही जब वृषभ का हो तब हकीकत मिट जाती है, 9 ही योग हो जब संख्या का बेटा संख्या 9 से ही कट जाती है, तुमको अगर मंजूर ये होता, तुम भी इंस्पेक्टर हो जाती, पहन सरकारी गुलामी की चंद जंजीर , ये इश्क मोहब्बत सब खो जाते, नफ़रत मे भी जो मोहबत कर दे लब्जो का वो नजकात हो तुम, x को भी zero कर दे वक़्त का वो ताकत हो तुम l
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