White
बड़ा बेटा
क़ाबिल ए सलाम है बड़े बेटे का किरदार
हँस के सह लेता हालातो के हर वार
ज़हन मे रहता सिर्फ घरवालों का ख्याल
धूप हो या बरसात वो तो चलता लगातार
दुकान वाले ना देते ज़रा सा उधार
दिल की चुभन रही रब को पुकार
जाने कैसा है ये संसार
आँखें है नम और वो हुआ हादसों का शिकार
गुलाब जैसा दिल पत्थर बना देती है दुनिया , गुल के लगे खार
ये है वक़्त की है मार
सुबह सूरज से पहले निकल जाता रात 12 आता
रहता दिल मे बस एक ही मलाल
घर मे कोई भूखा ना रह जाए
बेरोज़गारी मे काटने को दौड़ते
दर ओ दीवार
ज़िम्मेदारीयों से नहीं मानता कभी हार
भूख प्यास की शिद्दत हो उसे या हो वो बीमार
कोशिशे होती लगातार बेशुमार बे इन्तहा बेपनाह
है ये किसकी खता रब इतना बता
आबदीदा वो फ़िर चलने लगा जैसे एक ज़लज़ला
ना दवा ना दुआ, तोड़ा मुफलिसी ने जला दिल मे एक शोला
कोई रेस नहीं थी फ़िर भी
मेराथोन दौड़ा
हर विकल्प से वंचित
गिरता उठता आगे बढ़ता लहूलुहान रक्तरंजित
बचपन मे खिलौना ना मिला
तिफ़्ली मे ही काम पे निकल पड़ा
यानि कमसिन उम्र मे ही जवाँ हो गया
©qais majaz,dark
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here