#KisanDiwas नहीं हुआ है अभी सवेरा
पूरब की लाली पहचान ,
चिड़ियों के जगने से पहले
खाट छोड़ उठ गया किसान ।।
खिला – पिला बैलों को लेकर
करने चला खेत पे काम ,
नहीं कोई त्यौहार न छुट्टी
दिन भर करता काम किसान।।
बादल गरज रहे है गड़-गड़
बिजली चमक रही है चम-चम
मुसलाधार बरसता पानी
जरा न रुकता लेता दम ।।
हाथ पांव ठिठुरते जाते
घर से बाहर निकले कौन ?
फिर भी आग जला खेतों की
रखवाली करता है वह मौन ।।
गरम गरम लू चलती सन सन,
धरती जलती तवा समान ,
फिर भी करता काम खेत पर,
बिना किए आराम किसान..
बचपन में पढ़ी कविता, देश के अन्नदाताओं को समर्पित
रचनाकार : श्री सत्यनारायण लाल जी
प्रस्तुति : निखिल कुमार झा, बिलासपुर
©Avinash radhe chandravanshi
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