Avinash radhe chandravanshi

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किसकी तलवार पर सर रखु ये बता दो मुझे, इश्क़ करना अगर खता हैँ | तो सजा दो मुझे, ऐ मोहब्बत का इतिहास लिखने वालों, में अगर हरफे गलत हूँ तो मिटा दो मुझे... ©Avinash radhe chandravanshi

#lovequote  किसकी तलवार पर सर रखु ये बता दो मुझे,
इश्क़ करना अगर खता हैँ | तो सजा दो मुझे,
ऐ मोहब्बत का इतिहास लिखने वालों,
में अगर हरफे गलत हूँ तो मिटा दो मुझे...

©Avinash radhe chandravanshi

#lovequote

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#JodhaAkbar #Quotes  इश्क़ को भी आधारकार्ड से लिंक करा दो साहब,
ताकि जिसको मिल गया उसे दोबारा ना मिले...!!

©Avinash radhe chandravanshi

#JodhaAkbar

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#amirkhan #Quotes  पैसा ना हो
तो खुद की मोहब्बत भी
साथ छोड़ देती हैँ |
और पैसा हो
तो दुसरो की मोहब्बत भी
बाहो मे होती हैँ |
इसलिए पैसा कमाओ मोहब्बत,
भाड़ मे जाय!

©Avinash radhe chandravanshi

#amirkhan

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बचपन और उम्मीद बड़े होकर क्या मिला दिमाग मे बोझ और दिल मे गम काश वो बचपन फिर से जी पाते हम:! ©Avinash radhe chandravanshi

#BachpanAurUmeed  बचपन और उम्मीद  बड़े होकर क्या मिला दिमाग मे
बोझ और दिल मे गम
काश वो बचपन फिर से जी पाते हम:!

©Avinash radhe chandravanshi

चल ज़िंदगी एक नई सुरूआत करते है..... जो मेरे बिना खुश है उन्हें आज़ाद करते है!🖤 ©Avinash radhe chandravanshi

 चल ज़िंदगी एक नई

सुरूआत करते है.....

जो मेरे बिना खुश है

उन्हें आज़ाद करते है!🖤

©Avinash radhe chandravanshi

#Shayari

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#KisanDiwas नहीं हुआ है अभी सवेरा पूरब की लाली पहचान , चिड़ियों के जगने से पहले खाट छोड़ उठ गया किसान ।। खिला – पिला बैलों को लेकर करने चला खेत पे काम , नहीं कोई त्यौहार न छुट्टी दिन भर करता काम किसान।। बादल गरज रहे है गड़-गड़ बिजली चमक रही है चम-चम मुसलाधार बरसता पानी जरा न रुकता लेता दम ।। हाथ पांव ठिठुरते जाते घर से बाहर निकले कौन ? फिर भी आग जला खेतों की रखवाली करता है वह मौन ।। गरम गरम लू चलती सन सन, धरती जलती तवा समान , फिर भी करता काम खेत पर, बिना किए आराम किसान.. बचपन में पढ़ी कविता, देश के अन्नदाताओं को समर्पित रचनाकार : श्री सत्यनारायण लाल जी प्रस्तुति : निखिल कुमार झा, बिलासपुर ©Avinash radhe chandravanshi

#kisan_diwas #Kisandiwas  #KisanDiwas  नहीं हुआ है अभी सवेरा
पूरब की लाली पहचान ,
चिड़ियों के जगने से पहले
खाट छोड़ उठ गया किसान ।।

खिला – पिला बैलों को लेकर
करने चला खेत पे काम ,
नहीं कोई त्यौहार न छुट्टी
दिन भर करता काम किसान।।

बादल गरज रहे है गड़-गड़
बिजली चमक रही है चम-चम
मुसलाधार बरसता पानी
जरा न रुकता लेता दम ।।

हाथ पांव ठिठुरते जाते
घर से बाहर निकले कौन ?
फिर भी आग जला खेतों की
रखवाली करता है वह मौन ।।

गरम गरम लू चलती सन सन,
धरती जलती तवा समान ,
फिर भी करता काम खेत पर,
बिना किए आराम किसान..

बचपन में पढ़ी कविता, देश के अन्नदाताओं को समर्पित
रचनाकार : श्री सत्यनारायण लाल जी
प्रस्तुति : निखिल कुमार झा, बिलासपुर

©Avinash radhe chandravanshi

#kisan_diwas

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