शर्म नहीं शान है।
हिन्दी हमारी पहचान है।।
हमारा प्रेम है, ईमान है।
हमारे शब्दों की उड़ान है।।
हमारी बोली है, मुस्कान है।
हिन्दुस्तान की आवाज है।।
हिन्दी रूह है, ख्याल है।
दिलों में बसा प्यार है।।
हिन्दी माँ है, जज़्बात है।
महकता हुआ किरदार है।।
हिन्दी अभिव्यक्ति है,शक्ति है।
हिंदुस्तानियों के लिए देशभक्ति है।।
हिन्दी गर्व है, गुरूर है।
हमारे लिए सुरूर है।।
हिन्दी श्वास है, खास है।
भारत का आत्मविश्वास है।।
हिन्दी भोर है, डोर है।
इसका अपना ही एक ज़ोर है।।
हिन्दी शब्द है, अर्थ है।
हमारे लिए यह शर्त(प्रतिज्ञा) है।।
हिन्दी धर्म है,कर्म है।
हमारी यह रग रग में है।।
हिन्दी अद्वितीय है, वंदनीय है।
हिंदुस्तानियों को अति प्रिय है।।
हिन्दी मातृभाषा है, अभिलाषा है।
हमारे लिए शिरोमणि परिभाषा है।।
रचना-स्वरचित/मौलिक
नाम-हेमलता वर्मा ‛साधारण’
स्थान-आगरा (उत्तर प्रदेश)
©Hemlata Verma
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