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Mahesh Vishnoi
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जीने के लिए मर रहे है रोज मालूम नही कब मिल पाएगी मौत तेरी दुवाओं का असर बहुत है माही वरना कब की मिल जाती एक रोज। माही की कलम से... (MAHESH) ©kumar mahesh
17 Love
मौत रोज आती है हमारा पता पूछने हम कैसे बताया कि तुम्हारा पता क्या है माही की कलम से... ©kumar mahesh
24 Love
तुम तो नही आती हो पर तेरी यादें रोज आ कर जाती है तुम छुपाओ अपना हाल हमसे तेरी याद रोज हर हाल बताकर जाती है। माही की कलम से.... ©kumar mahesh
21 Love
गांव की गलियों का वो सफर आज भी अधूरा है निकाल के दिल से तुम्हे मैं आज भी पूरा है गलियों की राहे आज भी मुझे ढूढ़ रही है माही मेरी नजरों ने हर गली में तुझे निहारा है ।। माही की कलम से... ©kumar mahesh
23 Love
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