#OpenPoetry हे नारी अब तू शस्त्र उठा..
बहुत सुन ली नाकारों की!
चंचल मन को चंचला बना ,चिंगारी को अब तू ज्वाला बना♨️
जरूरत नहीं तुझे किसी सहारे की।
सौंदर्य मासूमियत को त्याग कर, तू अग्र पूजा कर शमशिर की⚔️
दे रक्त बहा उन जालिमों की..
जिस भुजा ने तूझको छेड़ा था।
ना कर फिकर, तू हो निडर ..
रख भरोसा अपने शमशिर पर
टूट पड़ बन कर कहर ..
आघात कर उनके जमीर पर।
सहनशीलता छोड़ दे..
हवाओं का रुख अब तू मोड़ दे__
बस इतनी विनती है की तू इन सामाजिक बंधनों को तोड़ दे😞😞
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