मैं आई थी तेरी गलियों में,
एक नन्हा जीवन भी लाई थी।
ढूंढ रही थी मैं खाना तेरे घर तक,
मेरी भूक मुझे वहां लाई थी।
तूने जब दिया था खाना,
तो मेरे बच्चे की तरफ से तेरे लिए दुआए थी।
तुमने क्या खिलाया था मुझे,
मेरे मुंह में अंगारों की लड़ी आयी थी।
जल रहा था मेरा मुंह जीभ भी खूनी हो आई थी।
मैं रो रही थी पानी में जाकर,
मुझे अपने से ज्यादा मेरे बच्चे की फ़िक्र सतायी थी।
गर है ख़ुदा तो उससे कहूंगी,
तूने ऐसी कौम ही क्यों बनाई थी?
खाना देने वाले,
मै और मेरा बच्चा मर रहे थे दोनों तिल तिल,
तुझे क्यों दया ना आई थी?
-Hitesh Masoom
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