Happy Rath Yatra *🔥जरा सा फर्क🔥* *समय निकाल कर शांत मन से पढिएगा*
*ज़रा सा फर्क होता है,*
*लोगों के जिंदा रहने में और एक दिन ना रहने में*
*ये इतने सारे लोग जो गए हैं, क्या कभी इनको देखकर ऐसा लगा था ? कि ये यूं ही चले जायेंगे*
*बिना कुछ कहे, बिना बताए*
*उन सब से हमें कुछ लगाव था, कुछ शिकायतें थी*
*कुछ नाराज़गी भी थी, जो कभी कही नहीं हमने*
*और कहा तो वो भी नहीं था, जो उन सब इंसानो में बेहद पसंद था हमें*
*फिर अचानक सुबह एक दिन खबर आती है, ये नहीं रहे, वो नहीं रहे*
*नहीं रहे मतलब, कैसे नहीं रहे ?*
*कैसे एक पल में सब बदल जाता है*
*वही सारे लोग जिनसे हम मिले थे अभी कुछ समय पहले वे इतनी जल्दी गायब कैसे हो सकते है और गायब भी ऐसे , कि दोबारा मिलेंगे ही नहीं*
*जैसे वे कभी कुछ बोले ही न थे*
*ना जिये*
*जैसे कोई बेजान खिलौना,*
*जिसकी चाबी खत्म हो गयी हो*
*कितना कुछ कहना रह गया था उन सब को कहीं घूमने फिरने जाना था उन सब के साथ*
*खाना भी खाना था, पार्टियां भी करनी थी*
*कुछ बताना था, कुछ कहना भी था उन सब को*
*बहुत सी बातें करनी थी फ़िज़ूल की ही सही*
*वो भी कहाँ हो पाया*
*सब रह गया*
*वो सब चले गए*
*न हम सब तैयार थे*
*न वो सब तैयार थे*
*विदाई के लिए*
*ऐसे ही एक दिन हमारी भी खबर आनी है, एक सुबह एक दोपहर एक शाम*
*कि वो फलाने नहीं रहे*
*लोग अरे! कह के एक मिनिट खामोश होंगे फिर जीवन बढ़ जाएगा आगे*
*इसलिए आओ तैयारी कर लेते हैं*
*सब नाराज़गी, शिकायतों और तारीफों का हिसाब चुका के रख लेते हैं ज़िंदगी हल्की हो जाएगी, तो आखिरी सांस पर मलाल का वज़न नहीं रहेगा*
*क्योंकि*
*ज़रा सा फर्क होता है*
*लोगों के जिंदा रहने में और एक दिन ना रहने मे*
*😌 🙏*
©Ali Azhar
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