दरमियां पल रही खामोशी को ज़ुबां दो,
बुझ चुकी इस आग को थोड़ी सी हवा दो,
लफ़्ज़ों को छोड़ अब नज़रों को कहने दो,
इश्क़ का झरना यूँ ही खुलकर बहने दो,
Pradeep Kalra - 22-02-21
इस देश का एक अहम हिस्सा हूँ,
कभी चर्चा में न आया वो किस्सा हूँ,
मुझ पर न पड़ी कभी रहम सरकारी,
पर मैंने निभाई अपनी हर जिम्मेदारी,
मुझे भी देखो साब, मैं हूँ छोटा व्यापारी..
#kavita
#LOVEGUITAR
इश्क़ में इम्तिहान, हम दिया नहीं करते,
मिलने की इल्तज़ा, हम किया नहीं करते,
चिंगारी उस तरफ भी भड़काते ज़रूर है,
इश्क़ इक तरफ़ा, हम किया नहीं करते..!!
Pradeep - 02/07/2015
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