जमाने मे हमेशा से तो बस तकदीर चलती है।
नही सोचो जरा तो राम को वन धाम क्या होता?
गुलो से ही कभी गुलशन अगर गुलज़ार होते तो।
बताओ फिर जरा काँटो का इसमें काम क्या होता?
मेरे मालिक मेरे जीवन मे यही काम हो अब।
मेरे मन में सदा ही मेरा घनश्याम हो अब।।
मेरे कानों में गूंजे सदा ही बांसुरी की धुन।
मेरे होठो पे राधे राधे बस नाम हो अब।।।
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