White मेरा दर्द .........
मेरे परिवार को नहीं पता कि मै दैनिक जीवन में या शहर नौकरी में कितनी कठिनाइयों और दबाव से गुजर रहा हु।
यहां हर दर्द हर रोज हंस के बिताना पड़ता हैं चाहे अंदर कितना भी ग़म का पहाड़ हो परिवार के सुख के लिए कंपनी में 12 घंटे समय गंवाने के बाद रूम पर रुखी सुखी रोटी खा कर सो जाते है अब लगने लगा है शायद. यही ज़िन्दगी में लिखा है
ये बात है कि हर कोई मेरे काम जीवन और मेरे घर की परिस्थितियों को नहीं जानता।
मेरे सहकर्मी, मेरे मित्र और प्रियजन मेरे ऊपर मौजूद नई और पुरानी ज़िम्मेदारियों के आकार को नहीं समझेंगे।
और मेरा जीवन साथी हमेशा बिना शर्त प्यार और समर्थन की उम्मीद करता है, चाहे मैं उससे कितनी भी बात करें लू
, वह यह नहीं समझ पाएगा कि हम कितना दबाव झेल रहे हैं।
कोई भी यह नहीं समझ पाएगा कि मैं वास्तव में किस दौर से गुजर रहे हैं।
©देव बाबू ,की कलम से /-/emat ,s
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