जो आया है उसका जाना निश्चित है, तो क्यों जाने पर क्षोभ होता है
मालूम है की ये शरीर नश्वर है, तो फिर क्यों अफसोस होता है
क्या कम थी मुश्किल जिंदगी में, जो आज ये दिन दिखलाया है
देता है हयात खुदा सब को पर, जीना कैसे तूने सिखलाया है
था तो तू भी एक साधारण सा गरीब आदमी, पर तुझमें कोई बात थी
मुकम्मल किए तूने बस चाहने वाले, जिसमें हर धर्म और हर जात थी
तेरी अदाकारी का परचम तूने, सारी दुनिया पर लहराया है
तेरे जाने की खबर सुन कर, एक जख्म दिल में गहराया है
तू था कई कारवां नहीं, जो आय और गुजर गया
तेरा शक्सियत हो गही अमर, हर दिल में तू उतर गया
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