सपने
ये सपने नही हैं बंद आँखों के
हैं ये खुले सोच विचारों के।
दिल झूम उठता है यूँ सोचकर भी,
जब महसूस करें बंद आँखों से।
ये मुस्कान नही बस दिखाने के,
हैं ये सपने सच हो जाने के।
बह जाते हैं ख़ुशी के आँसू भी,
जब महसूस करें बंद आँखों से।
ये बातें नही हैं समझाने के,
हैं ये ख़ुद में मगन हो जाने के।
ख़ूब निखर कर आते हैं चेहरे भी,
जब महसूस करें बंद आँखों से।
ये सपने नही जो सच हो गए,
हैं ये अंतरमन के उजाले में।
मिल जाएंगी सुकून भरी खुशीयां भी,
जब जी लेंगे उन्हें खूली आँखों से।
©tejaswita_dansena
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