A. Singh

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(रावण अभी तो जिंदा है....) ------------------------------- खुशियाँ क्यूँ मनाते हो, हर डाल पे वो परिंदा है रावण अभी तो जिंदा है l जिस गली में सीता जाए है, उस गली में रावण आये है, पर करें न कोई निंदा है, रावण अभी तो जिंदा है l कभी द्रोपती, कभी मैं सीता कभी निर्भया कभी मोमिता बनकर धरती पर आयी हूँ, हैवानो की इस दुनियाँ में नहि खुद को बचा मैं पायी हूँ l मिट न सकेगा रावण ये चाहे इसको लाख मिटालो तुम, कभी आ न सकेंगे राम यहाँ चाहे दीपक लाख जलालो तुम l अच्छाइयों का कर लो प्रवेश, छोड़ दो रावण का तुम वेश तब मने दशहरा उम्दा है l रावण अभी तो जिंदा है l Archana singh.... ✍🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ©A. Singh

 (रावण अभी तो जिंदा है....)
-------------------------------
खुशियाँ क्यूँ मनाते हो, हर डाल पे वो परिंदा है
रावण अभी तो जिंदा है l
जिस गली में सीता जाए है, उस गली में रावण आये है, पर करें न कोई निंदा है,
रावण अभी तो जिंदा है l
कभी द्रोपती, कभी मैं सीता 
कभी निर्भया कभी मोमिता बनकर धरती पर आयी हूँ,
हैवानो की इस दुनियाँ में नहि खुद को बचा मैं पायी हूँ l
मिट न सकेगा रावण ये चाहे इसको लाख मिटालो तुम,
कभी आ न सकेंगे राम यहाँ चाहे दीपक लाख जलालो तुम l
अच्छाइयों का कर लो प्रवेश, छोड़ दो रावण का तुम वेश तब मने दशहरा उम्दा है l
रावण अभी तो जिंदा है l
Archana singh.... ✍🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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रावण अभी तो जिंदा है l.... ✍🏻

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#कविता #theatreday  एक बेसहारा व्यक्ति का एकमात्र सहारा कभी नहीं छीनना चाहिए क्यू के उसकी बदुवा जब लगती है तब उससे ईश्वर भी नहीं बचा पाता है।                    अर्चना सिंह

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#theatreday

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अर्चना सिंह सतरंगी कविताएं इक सपना ©A. Singh

#कविता #CoupleGoals  अर्चना सिंह                         सतरंगी कविताएं                                                   इक सपना

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#CoupleGoals

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जब इक नन्हीं चींटी चढ़के दीवारों पे सफलता प्राप्त कर जाती है।, जब सूरज की डूबती करने फिर आशा में बदल जाती हैं , तो फिर क्यूं बस कुछ गमों के आजाने से मनुष्य के जीवन की परिभाषा ही बदल जाती है। सीखना है तो उन वीरों से सीखो, जो सरहद पर अपनी जान गवां कर, अपनों से मिलने की आखिरी आस मिटा कर, बिखेरते हैं चेहरे पर वो आखिरी मुस्कान, उनकी आखिरी मुस्कान भी वंदे मातरम् कह जाती है। ये जिंदगी है साहब यहां कभी दिन है तो कभी रात है, कभी सुबह है तो कभी शाम है..क्यों की जिंदगी तो बस जीने का नाम है।( जय हिंद) Archana Singh ©A. Singh

#कविता #sunflower  जब इक नन्हीं चींटी चढ़के दीवारों पे सफलता प्राप्त कर जाती है।, जब सूरज की डूबती करने फिर आशा में बदल जाती हैं , तो फिर क्यूं बस कुछ गमों के आजाने से मनुष्य के जीवन की परिभाषा ही बदल जाती है। सीखना है तो उन वीरों से सीखो, जो सरहद पर अपनी जान गवां कर, अपनों से मिलने की आखिरी आस मिटा कर, बिखेरते हैं चेहरे पर वो आखिरी मुस्कान, उनकी आखिरी मुस्कान भी वंदे मातरम् कह जाती है। ये जिंदगी है साहब यहां कभी दिन है तो कभी रात है, कभी सुबह है तो कभी शाम है..क्यों की जिंदगी तो बस जीने का नाम है।( जय हिंद)     Archana Singh

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#sunflower

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इक नन्हीं चींटी चढ़के दीवारों पे जब सफलता प्राप्त कर जाती है। सूरज की डूबती किरणें जब आशा में बदल जाती हैं। तब क्यूं बस कुछ गमों के आजाने से मनुष्य के जीवन की परिभाषा ही बदल जाती है। सीखना है, तो उन वीरों से सीखो जो सरहद पर अपनी जान गवां कर ,अपनों से मिलने की आख़िरी आस मिटा कर, बिखेरते है।चेहरे पे वो आखिरी मुस्कान, उनकी आखिरी मुस्कान भी वंदेमात् कह जाती है। ये जिंदगी है साहब यहां कभी दिन है, तो कभी रात है, कभी सुबह है तो कभी शाम है। क्यूं के जिंदगी तो बस जीने का नाम है। (जय हिंद) Archana Singh ©A. Singh

#कविता  इक नन्हीं चींटी चढ़के दीवारों पे जब सफलता प्राप्त कर जाती है। सूरज की डूबती किरणें जब आशा में बदल जाती हैं। तब क्यूं बस कुछ गमों के आजाने से मनुष्य के जीवन की परिभाषा ही बदल जाती है। सीखना है, तो उन वीरों से सीखो जो सरहद पर अपनी जान गवां कर ,अपनों से मिलने की आख़िरी आस मिटा कर, बिखेरते है।चेहरे पे वो आखिरी मुस्कान, उनकी आखिरी मुस्कान भी वंदेमात् कह जाती है। ये जिंदगी है साहब यहां कभी दिन है, तो कभी रात है, कभी सुबह है तो कभी शाम है। क्यूं के जिंदगी तो बस जीने का नाम है। (जय हिंद)            Archana Singh

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इक नन्हीं चींटी चढ़के दीवारों पे जब सफलता प्राप्त कर जाती है। सूरज की डूबती किरणें जब आशा में बदल जाती हैं। तब क्यूं बस कुछ गमों के आजाने से मनुष्य के जीवन की परिभाषा ही बदल जाती है। सीखना है, तो उन वीरों से सीखो जो सरहद पर अपनी जान गवां कर ,अपनों से मिलने की आख़िरी आस मिटा कर, बिखेरते है।चेहरे पे वो आखिरी मुस्कान, उनकी आखिरी मुस्कान भी वंदेमात् कह जाती है। ये जिंदगी है साहब यहां कभी दिन है, तो कभी रात है, कभी सुबह है तो कभी शाम है। क्यूं के जिंदगी तो बस जीने का नाम है। (जय हिंद) Archana Singh ©A. Singh

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हमें कभी किसी की आदत नहीं डालनी चाहिए। अपनी सहायता स्वयं करनी चाहिए। क्यों की जिसकी हमें आदत लग जाए और वह साथ छोड़ दे तो हम खुद को असहाय समझने लगते है। विश्वास दूसरों पर करने के बजाय स्वयं पर करें। @Archana Singh ©A. Singh

#विचार  हमें कभी किसी की आदत नहीं डालनी चाहिए। अपनी सहायता स्वयं करनी चाहिए। क्यों की जिसकी हमें आदत लग जाए और वह साथ छोड़ दे तो हम खुद को असहाय समझने लगते है। विश्वास दूसरों पर करने के बजाय स्वयं पर करें।                   @Archana Singh

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