कुछ थम सा गया है हम दोनो के दरमियां
वक्त,मैं ,तुम या हमारी बातें?
वो कॉल की रिंगटोन जो सिर्फ तुम्हारे लिए थी?
या सुबह सोते हुए भी तुम्हारी वीडियो कॉल उठाना जो हमेशा अलार्म से पहले बजती थीं?
वो स्नैपचैट से भेजी गई तुम्हारी फिल्टर वाली तस्वीरें?या क्या खाया , क्या पिया, क्या पहना या वो बार - बार टोकना कि
तुम्हारा कि कहां जा रहे हो क्यों जा रहे हो???
थम सा गया है, वो सब कुछ जो तुमसे शुरू और तुम पर खत्म होता था
बस बाकी रह गया है हाथ में एक सिगरेट, जाम और एक चाय की टपरी और कुछ पड़ी हुई तुम्हारी तस्वीर,
बचा है तो तुम्हारी दी हुई घड़ी जो वक्त के साथ चल रही है
थम सा गया है तुम्हें अलग -अलग नामों से बुलाना, याद रहा है तो बस तुम्हारे साथ बीता हुआ पल,
भूल गया हूं आने वाले कल को, थम सा गया है वो बेवजह तुमसे झगड़ना, रह गई है तो बस दरमियां दूरियां,
छूटा है तो हमारा तुम्हारा 7 वर्षो वो का साथ, भूल गया हूं खुद को,स्मरण है तो सिर्फ तुम्हारी यादें
थम सा गया हूं मैं वक्त और तुम, नहीं थमी है तो सिर्फ मेरी सांसे
बस रह गया है मेरे नाम के अंत मैं वो तुम्हारे नाम का अक्षर ,
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#सचिn ✍️✍️
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©Sachin Thakur
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