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जाने वालों से क्या गिला करना// Whatsapp no.-9452533303
सूखे हुए गुलाब लिए जाग रहा हूँ यादों की एक किताब लिए जाग रहा हूँ वो सो रही होगी सुकूँ से नींद में मेरी मैं उसका कोई ख़्वाब लिए जाग रहा हूँ। ©Upendra Bajpai
Upendra Bajpai
7 Love
वेदना का वेग बढ़ता जा रहा था ज़ब्त की जंजीर ढीली हो रही थी आपसे संवाद करते जा रहे थे और नयन की कोर गीली हो रही थी 1)ऐशगाहों से प्रणय के मोल धोखे खा रहे थे स्वप्न तुमको महल वाले दूर लेकर जा रहें थे तुमको जीवन का प्रबंधन खूब सिखलाया गया था और हमको प्रेम में बस त्याग बतलाया गया था प्रीत को अवहेलना के स्वर मिलें तो त्याग की वंशी सुरीली हो रही थी। और नयन की कोर गीली....... ©Upendra Bajpai
10 Love
जिसकी आंखें सितारे जैसी हैं उसकी आँखों से चाँद देखा है। ©Upendra Bajpai
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