सब मुमकिन-सी-कोशिशें कर ली अब,
सिर्फ तेरे आगे आकर मैं रुका हूँ अब।
कोई करामात-ए-करिश्मा ही कर दे,
मेरे बिछड़े यार से मिला दे अब।
वो डगर-ए-मंज़िल को है भूल गया,
तू राह सही उसे दिखा दे अब।
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Jalane ko to hum ye sheher bhi jala de,
Par kambhakt,
Is sheher me tum bhi to rehte ho.
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