गुज़र जाते है
गुज़र जाते है अब लोग नजरअंदाज कर के मुझे बहाने से ..
जैसे मेरा वजूद ही नहीं था किसी ज़माने से...
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अब वो ही देते है मशवरे मुझे डूबने के...
जिनको कभी सिखाए थे मैंनेे तरीके कश्तियां बनाने के...
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और साजिशें भी कौन रच रहे है मेरे खिलाफ...
जो कभी तालियां बजाते थे मेरे शतरंज तक के जीत जाने पे...
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गुज़र जाएगा वक़्त और बदल जाएंगे हालत सब कों मालूम है...
पर कुछ ना-हेल जाने कौन सी गलतफेहमी मे जिये जा रहे है...
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मेरे बिगड़े हालत पर जो मुस्कुरा रहे है...
फिक्र ना करो उनके भी बहुत जल्द अच्छे दिन आ रहे है...
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यासिर पठान
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