एक मरनाशन स्त्री कई भयंकर रोगों से ग्रस्त
(जिसमें उदर का कैंसर भी एक था),
जो अपने बेटे पोते को पहचान नहीं पा रही थीं
मिला मैं उनसे बताया मैंने अपना नाम उनको,
मैं सामने कुर्सी पर बैठा था
उनकी दुर्बल हाथ को अपनी ओर आता देख समीप चला गया,
उनकी हाथ मेरे पिठ पर होते हुए बाएं कंधे पर टिक गईं
काफी समय तक रूंधने के बाद बोलीं
'बेटा' सरवन हमर हमरा सुन के तू देखे आगेल.
मेरी दाहिनी हाथ उनके धौने को सहारा दे रही थी
ताकि शब्दों का भार कम हो सके ।
29/09/2022
©Ramakant Jee
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