मैं तो वही हूं,
लेकिन तुम बदल गये ।
तुम्हारी बातों पर कभी,
हँस देता हूं, कभी मायूस
हो लेता हूं।
तुम्हे जी भर देख लूं तो,
खुशी से झूम उठता हूं।
जिन रास्तों में तुमसे
मिलता था, अब अकेले
ही उन्हे नाप लेता हूं।
तुम भले ही उन्हे भुला चुके
लेकिन वो सब, तुम्हारी तरह
मेरे अंदर बस चुकी हैं।
ये जो रूसवाई है न,
कब तक ये रहेगी नहीं जानता,
लेकिन शायद, शायद कि
तुम बदल जाओ।
मैं तो वही हूं,
लेकिन तुम बदल गये।
अजीत"ललित"
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