Chandan Pandey

Chandan Pandey Lives in Mirzapur, Uttar Pradesh, India

एक दिन निकलूंगा, चार दीवारों के बीच से मैं भूखा हूं, तलाश मे हूं, पर अभी मिला नहीं हूं मैं....👺~Sanu

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Maa ka Aanchal ©Chandan Pandey

 Maa ka Aanchal

©Chandan Pandey

Maa ka Aanchal ©Chandan Pandey

22 Love

बचपन के दिन ©Chandan Pandey

 बचपन के दिन

©Chandan Pandey

बचपन के दिन ©Chandan Pandey

18 Love

White उन पहचानी आंखों में कुछ सपने पलते देखे हैं ठंडी के इस ठिठुरन में हर शख्स को जलते देखे हैं रातों में टिम टिम तारों के बीच उलझते देखें हैं कभी बचाते कभी छिपाते बात बदलते देखे हैं 25 गज की पुड़िया में कई राज दबा के बैठे हैं सतरंगी दुनिया के कई साज छिपा के बैठें हैं दीवारों की सीलन की कुछ गंध छिपी है कमरों में रिश्ते भी अब बिखर रहे और सिमट रहे है कमरों में मुखर्जी नगर की गलियों में कई ख्वाब पिघलते देखे हैं रातों में कई तह के अंदर कई सपने जलते देखे हैं ©Chandan Pandey

#upscaspirants  White  उन पहचानी आंखों में कुछ सपने पलते देखे हैं
ठंडी के इस ठिठुरन में हर शख्स को जलते देखे हैं
रातों में टिम टिम तारों के बीच उलझते देखें हैं
कभी बचाते कभी छिपाते बात बदलते देखे हैं
25 गज की पुड़िया में कई राज दबा के बैठे हैं
सतरंगी दुनिया के कई साज छिपा के बैठें हैं
दीवारों की सीलन की कुछ गंध छिपी है कमरों में
रिश्ते भी अब बिखर रहे और सिमट रहे है कमरों में
मुखर्जी नगर की गलियों में कई ख्वाब पिघलते देखे हैं
रातों में कई तह के अंदर कई सपने जलते देखे हैं

©Chandan Pandey

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20 Love

White Sanu Pandey ©Chandan Pandey

 White Sanu Pandey

©Chandan Pandey

White Sanu Pandey ©Chandan Pandey

17 Love

कुछ ख़्वाब टूटे, कुछ ख़्वाब छुटे कहानी कई हैं, बताऊं किस बूते ये दुनिया अब काटे, किनारे को छांटे मै खुद में हूं सिमटा और मंजिल भी डांटे चले हो फतह करने, सिकंदर के जैसे कमर टेक बैठे, विपाशा के आगे चलो अब खड़े हो, कलम के सहारे कलम के सिपाही, क्यूं! हिम्मत हो हारे ये डर कैसा, है जो तुम्हे लग गया गर आंधी धारा पे, गगन छू के आ ये बातें भी सुन, जो तुम्हारे गढ़े अभी मंजिल आगे, इधर क्यों खड़े मै फिर से हंसा, और आंसु छिपा कुछ शब्द हैं गढ़े और फिर से लिखा कई रास्ते पे हैं, पत्थर बिछे क्या हस्ती है, अब वे गिरा दे मुझे जो अबकी गिरा तो फिर ऐसे उठूं तुम मानो, मैं शिव का पताका विजय ©Sanu Pandey

#कविता #Sanupoetry #emptiness #alone  कुछ ख़्वाब टूटे, कुछ ख़्वाब छुटे
कहानी कई हैं, बताऊं किस बूते
ये दुनिया अब काटे, किनारे को छांटे 
मै खुद में हूं सिमटा और मंजिल भी डांटे
चले हो फतह करने, सिकंदर के जैसे
कमर टेक बैठे, विपाशा के आगे
चलो अब खड़े हो, कलम के सहारे
कलम के सिपाही, क्यूं! हिम्मत हो हारे 
ये डर कैसा, है जो तुम्हे लग गया
गर आंधी धारा पे, गगन छू के आ
ये बातें भी सुन, जो तुम्हारे गढ़े
अभी मंजिल आगे, इधर क्यों खड़े
मै फिर से हंसा, और आंसु छिपा
कुछ शब्द हैं गढ़े और फिर से लिखा 
कई रास्ते पे हैं, पत्थर बिछे
क्या हस्ती है, अब वे गिरा दे मुझे
जो अबकी गिरा तो फिर ऐसे उठूं 
तुम मानो, मैं शिव का पताका विजय

©Sanu Pandey

#alone Vipasha-Beas River #emptiness #Sanupoetry

13 Love

#Motivational

tu kabhi thakega nahi, tu kabhi rukega nahi , kar sapath, kar sapath Agni path

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