यूँ तो खुली किताब हुँ मैं,मगर हर कोई मुझे पढ़ले इतना काबिल भी कोई नहीं ! यूँ तो बहुत सरल भाषा हुँ मैं,मगर हर कोई अर्थ समझले इतना ज्ञानी भी कोई नहीं! यूँ तो साधारण सा लड़का हूँ मैं , मगर हर कोई मोल समझे इतना अपना भी कोई नहीं! यूँ तो एक रहस्य हुँ मैं, मगर हर कोई सुलझाले इतना दिलदार भी कोई नहीं..!
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