तुम कागज़ होती तो जला देता तुम्हें.....
तुम स्याही होती तो मिटा देता तुम्हें.....
तुम आँसु होती तो बहा देता तुम्हें.....
तुम रौशनी होती तो बुझा देता तुम्हें.....
मगर फकत गौर से देखा तो तुम खुदगर्ज निकले.....
इसलिये अब अपनी यादों से ही तुम्हे भुला बैठे.....
आज सोचा चलो पुरानी तस्वीरों को देखते हैं
भर चुके जख्मो को फिर से कुरेदते हैं
क्या पता हमे की हमारी gallery मे एक तस्वीर उनकी भी होगी
अफसोस....
दिल ने आज फिर से अवाज दी की उनका मिलना तो तेरे मुकद्दर मे है ही नही...
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