हम समझते है तुम्हे, तुम रहते हो मशरूफ कई जरूरी कामों में,
और कमबख्त ये जिद्दी दिल है कि मानता नहीं बस देता है खलल तुम्हारी जिन्दगानी में,
बहुत देर से जाना है तुम्हे,पर जब से हो, रखा है हमेशा अपनी कुरबत में,
तम्मना मिलने की बहुत है तुमसे,पर रूबरू तुम्हारी रूह से होते ही तो है रोज दुआओ में, इबादत में..
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