सज धज के आयी थी वे
छाछ से नहाई थी वे
झुमके में थी
और अपने वादा को निभाई थी वे
मैंने ना करवाया, उसे इंतज़ार
क्योंकि है सिर्फ उसी से प्यार
अच्छी थी और रोमांटिक भी
तभी तो एक मित्र
प्रतिस्पर्धा करना चाहा
उसने भी थाली भरकर लाया
हम दोनों ने प्यार से भरपेट खाया ।
✍️ नरेन्द्र प्रसाद निराला
सज धज के आयी थी वे
छाछ से नहाई थी वे
झुमके में थी
और अपने वादा को निभाई थी वे
मैंने ना करवाया, उसे इंतज़ार
क्योंकि है सिर्फ उसी से प्यार
अच्छी थी और रोमांटिक भी
तभी तो एक मित्र
प्रतिस्पर्धा करना चाहा
उसने भी थाली भरकर लाया
हम दोनों ने प्यार से भरपेट खाया ।
✍️ नरेन्द्र प्रसाद निराला
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