तुम डाल-डाल हजारों औजारों को लिए मेरे स्कंधों को ढूंढते रहो मगर जरा ठहरो जनाब जरा ठहरो अरे मैं तो इत्र हूँ बन हवा सदा फिजाओं को महकाती मिलुंगी " 😉
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