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jharkhand
ऐसा पहली बार हुआ हैं 16-17 सालो मे लव कुश हर्ष हर्षित भोलू छोटू क्षितिज अक्षांश अलग अलग एक पटना दूसरा गोड्डा मे ©ranjit Kumar rathour
ranjit Kumar rathour
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, 5ए वक्त इतनी जल्दी क्या हैं थोड़ा रुक जाया कर ज़ब तक होश सम्हालता हुँ देर हो जाती हैं पता नहीं तू जल्दी मे हैं या फिर मैं धीमा हुँ चलो कोई बात नहीं क्या हुआ जो तू आगे निकल गया थोड़ी देर से सही आऊंगा मैं लेकिन वक्त तो दे जिससे खुद क़ो सम्हाल पाऊं हां सम्हाल पाऊ ©ranjit Kumar rathour
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एक सम्मान उसे जिससे रिश्ता रहा हमारा सुबह के अभिवादन का चैत की दोपहरी मे एक ग्लास पानी पिलाने का चेहरे उदासी क़ो पहली नजर मे पढ़ लेने का चौक डस्टर या फिर जरुरी फ़ाइल क़ो पहुंचाने का थे उनसे हमारे भी वादे सालो गुजारें रिश्तो क़ो निभाने का हम उऋण नहीं हुए हो भी नहीं सकते कर्ज से लेकिन एक फर्ज तो बनता था सो रत्ती भर सही निभाया हां बस निभाया ©ranjit Kumar rathour
हिंदी दिवस ********* मौका था हिंदी दिवस का लेकिन बिडंबना की हिंदी घबराई हुईं हैं लग रहा था सब औपचारिकता हैं और डरी सहमी हिंदी कह रही थी छोड़ो न मुझे याद करना बोली मैं रहूँगा अभी लबे समय थोड़ी कमजोर सी गिरती पड़ती अपाहिज़ सी बाजार से दूर कसबो मे गांव जवार मे सरकारी स्कूलों मे हा यादो मे ©ranjit Kumar rathour
16 Love
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थी बातूनी सी उसकी बक बक से सब रहते थे परेशान लेकिन वो बेहतरीन थी जरूरत थी उसके मनोबल क़ो बढ़ाने कि उम्मीद खूब आगे जाना बाबू मेरा आशीर्वाद तुम्हे ताउम्र होगा हाँ होगा ©ranjit Kumar rathour
10 Love
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