ranjit Kumar rathour

ranjit Kumar rathour Lives in Godda, Jharkhand, India

jharkhand

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

ऐसा पहली बार हुआ हैं 16-17 सालो मे लव कुश हर्ष हर्षित भोलू छोटू क्षितिज अक्षांश अलग अलग एक पटना दूसरा गोड्डा मे ©ranjit Kumar rathour

#कविता  ऐसा पहली बार हुआ हैं 
16-17 सालो मे 
लव कुश 
हर्ष हर्षित 
भोलू छोटू 
क्षितिज अक्षांश 
अलग अलग 
एक पटना 
दूसरा गोड्डा 
मे

©ranjit Kumar rathour

जुदा जुदा जन्मदिन

13 Love

, 5ए वक्त इतनी जल्दी क्या हैं थोड़ा रुक जाया कर ज़ब तक होश सम्हालता हुँ देर हो जाती हैं पता नहीं तू जल्दी मे हैं या फिर मैं धीमा हुँ चलो कोई बात नहीं क्या हुआ जो तू आगे निकल गया थोड़ी देर से सही आऊंगा मैं लेकिन वक्त तो दे जिससे खुद क़ो सम्हाल पाऊं हां सम्हाल पाऊ ©ranjit Kumar rathour

#कविता  , 5ए वक्त इतनी जल्दी क्या हैं 
थोड़ा रुक जाया कर 
ज़ब तक होश सम्हालता हुँ 
देर हो जाती हैं 
पता नहीं तू जल्दी मे हैं 
या फिर मैं धीमा हुँ 
चलो कोई बात नहीं क्या हुआ 
जो तू आगे निकल गया 
थोड़ी देर से सही आऊंगा मैं 
लेकिन वक्त तो दे 
जिससे खुद क़ो सम्हाल पाऊं 
हां सम्हाल पाऊ

©ranjit Kumar rathour

थोड़ा वक्त तो दे

11 Love

एक सम्मान उसे जिससे रिश्ता रहा हमारा सुबह के अभिवादन का चैत की दोपहरी मे एक ग्लास पानी पिलाने का चेहरे उदासी क़ो पहली नजर मे पढ़ लेने का चौक डस्टर या फिर जरुरी फ़ाइल क़ो पहुंचाने का थे उनसे हमारे भी वादे सालो गुजारें रिश्तो क़ो निभाने का हम उऋण नहीं हुए हो भी नहीं सकते कर्ज से लेकिन एक फर्ज तो बनता था सो रत्ती भर सही निभाया हां बस निभाया ©ranjit Kumar rathour

#कविता  एक सम्मान उसे 
जिससे रिश्ता रहा हमारा 
सुबह के अभिवादन का 
चैत की दोपहरी मे 
एक ग्लास पानी पिलाने का 
चेहरे उदासी क़ो 
पहली नजर मे पढ़ लेने का 
चौक डस्टर या फिर 
जरुरी फ़ाइल क़ो पहुंचाने का 
थे उनसे हमारे भी वादे 
सालो गुजारें रिश्तो क़ो निभाने का
हम उऋण नहीं हुए 
हो भी नहीं सकते कर्ज से 
लेकिन एक फर्ज तो बनता था 
सो रत्ती भर सही निभाया 
हां बस निभाया

©ranjit Kumar rathour

एक ग्लास पानी

13 Love

हिंदी दिवस ********* मौका था हिंदी दिवस का लेकिन बिडंबना की हिंदी घबराई हुईं हैं लग रहा था सब औपचारिकता हैं और डरी सहमी हिंदी कह रही थी छोड़ो न मुझे याद करना बोली मैं रहूँगा अभी लबे समय थोड़ी कमजोर सी गिरती पड़ती अपाहिज़ सी बाजार से दूर कसबो मे गांव जवार मे सरकारी स्कूलों मे हा यादो मे ©ranjit Kumar rathour

#कविता  हिंदी दिवस 
*********
मौका था हिंदी दिवस का 
लेकिन बिडंबना की 
हिंदी घबराई हुईं हैं 
लग रहा था सब 
औपचारिकता हैं और डरी सहमी 
हिंदी कह रही थी 
छोड़ो न मुझे याद करना 
बोली मैं रहूँगा अभी लबे समय 
थोड़ी कमजोर सी 
गिरती पड़ती अपाहिज़ सी 
बाजार से दूर कसबो मे 
गांव जवार मे 
सरकारी स्कूलों मे 
हा यादो मे

©ranjit Kumar rathour

हिंदी दिवस

16 Love

#शायरी  अतीत क़ो देखना 
अच्छा लगता हैं 
तस्वीर होता तो
तो निहारता मै 
लेकिन तस्वीर क़ो 
अब बनाना होता हैं 
मैं ऐसा था वैसा था 
सोचना महशुस करना 
अच्छा लगता हैं

©ranjit Kumar rathour

पुरानी तस्वीर

99 View

थी बातूनी सी उसकी बक बक से सब रहते थे परेशान लेकिन वो बेहतरीन थी जरूरत थी उसके मनोबल क़ो बढ़ाने कि उम्मीद खूब आगे जाना बाबू मेरा आशीर्वाद तुम्हे ताउम्र होगा हाँ होगा ©ranjit Kumar rathour

#कविता  थी बातूनी सी 
उसकी बक बक से 
सब रहते थे परेशान 
लेकिन वो बेहतरीन थी 
जरूरत थी उसके मनोबल 
क़ो बढ़ाने कि 
उम्मीद खूब आगे जाना बाबू मेरा आशीर्वाद तुम्हे 
ताउम्र होगा हाँ होगा

©ranjit Kumar rathour

थी एक बक बक

10 Love

Trending Topic