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Writer FB- Kavi dilkhush rao suras Whatsapp&Calling No.- 8003565129
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पृथ्वीराज को शक्ति का आभास कराने वाले हम चंद बरदाई परंपरा को आकाश बताने वाले हम सही गलत में फर्क सदा बिंदास बताने वाले हम कविता करके हर कुल को इतिहास बताने वाले हम कैसे हुई उत्पति कुल की ये बात बताने वाले हम कौन कहां पर रहते उनकी न्यात बताने वाले हम सती पूर्वज भेरू जी का ज्ञान बताने वाले हम किस जगह कुलदेवी कुल की स्थान बताने वाले हम जिस शख्स की रहन सहन और शुद्ध खानपान है दिलखुश कहता हर जगह उस शख्स का मान है ना कोई छोटा ना कोई मोटा सब एक समान है इस सामाजिक उत्सव में जरूर पधारे यही मेरा आव्हान है ©Dilkhush Rao Suras
Dilkhush Rao Suras
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वोट पाते रहे सदा वो कुकर्म के नाम पर हुआ विभाजन सैंतालीस में केवल धर्म के नाम पर धारा 370 का कलंक मिटाया जाता है कश्मीरी घाटी में शान से ध्वज फहराया जाता है अस्तित्व नकारने वालों को भी मिला जवाब सवाल पर स्वयं सूर्य ने किया तिलक प्रभु राम के भाल पर टेंट तम्बू से लेकर के अब खड़ी इमारत देख रहा है मोदी जी ने क्या किया ये सारा भारत देख रहा है ©Dilkhush Rao Suras
गीत - मां के बिना ये सारी दुनिया अधूरी है बैठ अकेले आप कभी ये सोचना, क्यों जरूरी है मां के बिना ये सारी दुनिया अधूरी है......अधूरी है आना जाना लगा रहेगा मिलते रहना लोगो से लेकिन ये सुन लेना दिलखुश बचकर रहना लोगो से मिलते हो लोगो से हंसकर मां से फिर क्यों दूरी है मां के बिना.................................... अधूरी है दुनिया में लाकर जिसने किया तुम पर बहुत बड़ा उपकार लाड़ प्यार से बड़ा किया उसको क्यों नही मिला है प्यार जिसने छोड़ा मां को उससे पूछो क्या मजबूरी है मां के बिना.................................. अधूरी है मिलते होंगे लाख मुसाफिर उस सा मिल ना पाएगा जाएगी जब छोड़ के आंगन रोएगा पछताएगा पूछ लो खुद अपने मन से मां कितनी जरूरी है मां के बिना................................. अधूरी है जैसा करोगे वैसा भरोगे याद हमेशा रखना तुम इस दुनिया के सबसे कड़वे स्वाद को चखते रहना तुम दुनिया में तेरी सुगंध फैलाने वाली वो कस्तूरी है मां के बिना................................. अधूरी है ©Dilkhush Rao Suras
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नेता भ्रष्टाचारी अधिकारी कामचोर यहां आमजन कब तक दर - दर डोलेगा एक दुराचारी न्यायाधीश संग बैठकर पैसों के दम पर सारे पाप धो लेगा बार - बार होते रहेंगे ऐसे अपराध आखिर कब तक खून नही खोलेगा दुराचारी भ्रष्टाचारी कामचोर के खिलाफ आप नही बोलोगे तो और कौन बोलेगा ©Dilkhush Rao Suras
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जंग लगी गाड़ी को अब घर से बाहर निकाल रहे है वो देखो डेरा डाल रहे है देखो डेरा डाल रहे है रुको पिताजी मैं लडूंगा, रुक जा बेटा लड़ने दे जिनसे खुद का घर नही संभला वो सबको संभाल रहे है काम कभी नही आते फिर भी जयकारे लगवाते जो चार कंधो पर बैठकर के रैलियां निकाल रहे है पांच साल मस्ती में बीते अब बस्ती में आये तो काम तुम्हारा मैं कर दूंगा कह कहकर वो टाल रहे है ©Dilkhush Rao Suras
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सागर बदल गया समंदर बदल गया जो कभी हसीं था वो मंजर बदल गया सजा हुआ कमरा और पोस्टर बदल गया नही चाहिए था बदलना पर बदल गया आते - जाते देखता था उसको जिस घर में देखते ही देखते वो घर बदल गया छोड़कर के जबसे वो गई है उस घर को वैसा ही है बाहर से अंदर बदल गया वो अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त है 'दिलखुश' उसका और आशिक का मुकद्दर बदल गया ©Dilkhush Rao Suras
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