मेरे किरदार पर नाकामी का इल्जाम क्यो है,
बोलो मेरे हर काम को तुम्हारा नाम क्यो है।
ओर तुम कहते हो नाकारा है पालीवाल ,
तो इस शक्श को इतना सलाम क्यो है।
अब कहना बन्द करो कि तुम मसीहा हो गरीबो के ,
ग़र हो तो इस शहर में भुखमरी सर -ए-आम क्यो है।
ओर तुम ही तो सिखातो हो न कि हम सब भाई है,
तो फिर बताओ अलग अल्लाह और राम क्यो हैं।
ओर बन्द करो अफवाह फैलाना कि सकूँ है इश्क़ में,
अरे! ऐसा है तो यहाँ हर एक शायर बदनाम क्यो है।
दीपेश पालीवाल
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