चोर हो तुम___ शायर कहीं के
शहद की चाशनी में कलम डुबोकर
होठोंपर निशान छोड़ जाते हो
कभी जहर चखकर देखा है क्या ?
चोर हो तुम___शायर कहीं के
गुलाबी गालो को कलम से खिलाकर
भोवारे की तरह मंडरा जाते हो
कभी दातो से किसीको कांटा है क्या ?
चोर हो तुम___शायर कहीं के
खारे पानी में कलम भिगोकर
आँखोमे काजल लगा जाते हो
कभी आँखोमे डूबकर देखा है क्या ?
चोर हो तुम___शायर कहीं के
लचकती क़मर को कलम से हिलाकर
बेहोश खुदही हो जाते हो
कभी कमर को कसकर पकड़ा है क्या ?
चोर हो तुम___शायर कहीं के
घुंगराले , बालो को कलम से लहराकर
सुलझाते खुद ही उलझ जाते हो
कभी जुल्फोंसे किसीकी खेले हो क्या ?
चोर हो तुम___शायर कहीं के
यौवन को तुम कलम से सहलाकर
उंगलियोंके पेच लड़ा जाते हो
कभी नाम किसी धड़कन पर लिखा है क्या ?
चोर हो तुम___शायर कहीं के
रेशमी दुपट्टे को कलम से रंगाकर
रंगो में तुम भी रंग जाते हो
कभी दुपट्टा साथ लेकर सोये हो क्या ?
चोर हो तुम___शायर कहीं के
गजरे के फुलोको कलम से महकाकर
खुशबुसे तुम जो बहक जाते हो
कभी क़िताब में सूखा फूल देखकर
रातभर छत ताकतें रोये हो क्या ?
चोर हो तुम ___शायर कहीं के
किसीके होंठ ,किसीके आँखे
दूर दूरसे किस्से ले आते हो
इजाजत लेना तुम्हे आता नहीं
किसीके भी दिल में घुस जाते हो
शायर हो तो कुबूल करो
इश्क़ में तुम भी निखर जाते हो
रूठकर चल दिया कोई अपना
स्याही की तरह बिखर जाते हो
चोर हो तुम ___शायर कहीं के
प्रणाली देशमुख....
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