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mai wo nhi jo sb dekhe mai wo hu jo koi na smhje

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वक़्त भरोसा सम्मान, ऐसे परिंदे है... जो एक बार उड़ जाए, तो वापस नही आते। ©the blank voice

#शायरी #candle  वक़्त भरोसा सम्मान, 
ऐसे परिंदे है... 
जो एक बार उड़ जाए, 
तो वापस नही आते।

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#candle

8 Love

खुशी और जरूरत के लिए हर शख्स यार होता है मुसीबत में पता चल जाता है कि कौन गद्दार होता है। ©the blank voice

#शायरी #CandleLight  खुशी और जरूरत के लिए हर शख्स यार होता है
मुसीबत में पता चल जाता है कि कौन गद्दार होता है।

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#CandleLight e

13 Love

हां मैं बोलता बहुत हूं पर मैं बोलता भी बहुत कम लोगो से हूं।। ©the blank voice

#Thinking  हां मैं बोलता बहुत हूं
पर
मैं बोलता भी बहुत कम लोगो से हूं।।

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#Thinking

11 Love

कौन कहता है ख़ामोशियां ख़ामोश होती हैं!! कभी ख़ामोशियों को ख़ामोशी से सुनो!! ख़ामोशियां वो कह देंगी जिनकी लफ़्ज़ों में तलाश होती है!! ©the blank voice

#Luminance  कौन कहता है ख़ामोशियां ख़ामोश होती हैं!!

कभी ख़ामोशियों को ख़ामोशी से सुनो!!

ख़ामोशियां वो कह देंगी जिनकी लफ़्ज़ों में तलाश होती है!!

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#Luminance

6 Love

पुरुष का बलात्कार। जीवन के इस जंजाल में सबको उलझना पड़ता है। समस्या कभी पुरुष स्त्री नही देखती। पुरुष भी घुटता है,पिसता है,टूटता है,बिखरता है। आँखों मे आंसू ला नही सकता। पत्थर की भांति कुछ कह नही सकता। हर संवेदना छुपाना भली भांति जानता है। कितना भी सताया जाय, मुस्कुराना जानता है। कई बार जला है दहेज की आग में। हा वही दहेज़ जो उसने कभी मांगा ही न था। पारिवारिक जिम्मेदारी बचपन से सर पे उठाता है। मजबूती के ठप्पा लगा कर बेचारा जीता जाता है। गर कभी बिस्तर पर थोड़ा थककर कमजोर पड़ जाता है। नामर्दी का बोझ जीवन भर उठाता है। कभी कभी जो आंखों से थोड़ा ग़म बहता है। देख रोते उसे सारा जमाना कहता है,मर्द को दर्द कहाँ होता है। पुरुषों का बलात्कार सिर्फ बिस्तर पर नही, खुले समाज में होता है। एक बेबुनियाद आरोप को जीवन भर सहता जाता है। कौन कहता है पुरुष सिर्फ़ हुक़ूमत चलाता है। कहाँ छुपे कहाँ रहे, हर जगह अब डर सताता है। ये संसार अब मर्द को, सिर्फ़ चुप रहना सिखाता है। ©the blank voice

#Dark  पुरुष का बलात्कार।

जीवन के इस जंजाल में सबको उलझना पड़ता है।
समस्या कभी पुरुष स्त्री नही देखती।

पुरुष भी घुटता है,पिसता है,टूटता है,बिखरता है।
आँखों मे आंसू ला नही सकता।
पत्थर की भांति कुछ कह नही सकता।
हर संवेदना छुपाना भली भांति जानता है।
कितना भी सताया जाय, मुस्कुराना जानता है।
कई बार जला है दहेज की आग में।
हा वही दहेज़ जो उसने कभी मांगा ही न था।
पारिवारिक जिम्मेदारी बचपन से सर पे उठाता है।
मजबूती के ठप्पा लगा कर बेचारा जीता जाता है।
गर कभी बिस्तर पर थोड़ा थककर कमजोर पड़ जाता है।
नामर्दी का बोझ जीवन भर उठाता है।
कभी कभी जो आंखों से थोड़ा ग़म बहता है।
देख रोते उसे सारा जमाना कहता है,मर्द को दर्द कहाँ होता है।
पुरुषों का बलात्कार सिर्फ बिस्तर पर नही, खुले समाज में होता है।
एक बेबुनियाद आरोप को जीवन भर सहता जाता है।
कौन कहता है पुरुष सिर्फ़ हुक़ूमत चलाता है।
कहाँ छुपे कहाँ रहे, हर जगह अब डर सताता है।
ये संसार अब मर्द को, सिर्फ़ चुप रहना सिखाता है।

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#Dark

6 Love

Tm door nhi ho Pas ho mere Pas nhi ho tm Kareeb ho mere Jhooth nhi ho tm Sach ho mera Bss ab tm maan lo Yahi satya hai tera...❣️ ©the blank voice

 Tm door nhi ho 
Pas ho mere 

Pas nhi ho tm 
Kareeb ho mere 

Jhooth nhi ho tm 
Sach ho mera
 
Bss ab tm maan lo
Yahi satya hai tera...❣️

©the blank voice

#Love

10 Love

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