फिजा में रंग केसरी के
घुल रहे हैं धीरे- धीरे
संकल्प पथ पर अग्रसर
हम बढ रहे हैं धीरे धीरे
नवयुवक सा जोश है अब
हौसला भी साथ- साथ है
सब साथ बढ रहे है अब
सब हाथ साथ- साथ है
नव भारत की कल्पना को
साकार कर रहे हैं हम
नित दिन कोई न कोई
इतिहास रच रहे हैं हम
असहाय,जरूरतमंदों के लिए
हम संकटमोचक बन गए हैं
दवा, वैक्सीन हो या भोजन
हमने सब कुछ बाँट दिए हैं
दुश्मन जब भी आस लगाकर
मदद की राह देखा है
हमने सारा अतीत भूलकर
भातृ धर्म निभाया है
पर जब हमें छेड़कर कोई भी
कायर बनकर ललकारेगा
हम घर में घुसकर मारेंगे
जब आँच वतन पर आएगा
©S@quotes
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here