सुन तेरे हर मैसेज नहीं पढती मै
तुझसे ना अब गले लगती हूँ ना लडती हूँ मै
पर सच कहूँ जिन्दगी मे सब छोड़ जाते है साथ
पर तेरे संग हर दुखों के बाद फिर से सवरती हूँ मै
हैप्पी फ्रेंडशिप डे
Samiksha pathak
वेद पढना, समझना, कहना और सुनना सरल है पर वेदना पढना, समझना, कहना और सुनना सभी मुश्किल है और जब आप अपनी वेदना किसी से कह नही सकते तो शुरू होती है स्वयं से वार्ता और यहीं स्वयं से किया संवाद. देता है अनुभव की पिटारी और जब यह अनुभव की पोटली हमारे कठिन समय मे खुलती हैं तो दुनिया के क्षुद्र स्वार्थो पर कभी हसीं आती है तो कभी क्रोध ।
समीक्षा पाठक
ऐ वक्त सुन हम भी लेगें तुझसे इक मशवरा
वक्त देख कर वक्त पर कैसे बदलते हैं
किसी के मनोबल को कैसे उठाते है
और अच्छे वक्त को भी कैसे बदलते हैं
ऐ वक्त सुन तुझसे ......................।
Samiksha pathak
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here