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White आज को बेच कर कल को बचा रहे हैं लोग जवानी को दरबार छोड़ कर बुढ़ापा कमा रहे हैं लोग ©Error
Error
13 Love
White प्रेम के साधन में सवार हो कर हम भक्ति का दरिया पार करते हैं तुम गंगा बन के मुझ जमुना से मिलो फिर संगम का इजाद करते हैं ©Error
White जैसे जैसे छठ निराला सांच कही मोर मन पियराला ए साहब तू छुट्टी दे दा चाहे हमके तू गरिया ला चार दिन के बात बा मालिक ट्रेन पकड़े फिर चल आइब मजदूरी के रोटी लेवे बोला साहब कहा हम जाइब खिचड़ी बितल फगुआ बितल नवमी और दशहरा बितल एक टेर ना कहनी तोहसे जाने केतना परब बितल अब जीव ना मानेला सुतलो में अंखियां जगेला चाहे केतनो काम करिला मन हुजूर ना लगेला साल भर में एकही बेरा छठ के छुट्टी मांगीला ए साहब तू छुट्टी दे दा चाहे हमके तू गरिया ला ©Error
12 Love
White बहुत तैस में हम आए थे गांव से शहर जी भरा शहर से तो याद आया एक रास्ता छोड़ आए थे जो गांव को जाता है!! ©Error
बारिश के बाद छप्पर से टपकती बूंदे क्या लगता है ! इश्क का एहसास सिर्फ इंसान को होता है महसूस करो इन बूंदों को दर्द इन्हे भी होता है ©Error
White हमारे पास तुमसे कहने को कुछ भी नहीं तुम बैठो तो दो चार घड़ी दिल के गुब्बार निकल भी सकते है ©Error
14 Love
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