हमारे parents कर्ज़ा उठाते हैं तो,
बेटो की पढ़ाई के लिए,
और बेटियों के बिदाई के लिए,
हमारे समाज में आज्ञाकारी सबसे बड़ा title है
जो एक औरत को मिलता हैं,
बहू हो या बेटी,
उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ सबका कहना मानना होता हैं।
एक लड़की अपने ज़िन्दगी में क्या करना चाहती हैं,
कैसे जीना चाहती हैं,
उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता,
बस फ़र्क पड़ता हैं तो ये की वो दुसरो को खुश कैसे कर पा रही हैं,
वो ख़ुद के लिए जिये तो अभिशाप,
दूसरों के लिए जिये तो सबसे महान. बन जाती हैं।........
अपनी ख़ुशियाँ ,अपने सपने को कही दिल के एक कोने में रख,
वो घूँट-घूँट कर अपना जीवन बिताती है।।
कोई भी दिक्कत हो तो सिर्फ़ बहु,या बेटी ही गलत मानी जाती हैं।
©sanjana-jp
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