सरकारी शिक्षक क्यो नहीं बच्चे को पढ़ा पाते हैं, इसमे किसकी गलती है आइए जानते हैं:-
शिक्षक :- पढ़ाना चाहते है।
वरीय पदाधिकारी :- DBT निपटाओ
शिक्षक :- अब पढ़ाए सर ?
वरीय पदाधिकारी :- जिनका आधार नहीं बना है उनका आधार बनवाओ।
शिक्षक :- सर अब तो पढ़ाए ?
वरीय पदाधिकारी :- जिन अभिभावकों के खाते में पैसा नही आया उनके खाते में आधार लिंक का काम भी तो बाकी है।
शिक्षक :- सर अब ... ?
वरीय पदाधिकारी :- पता करो अभिभावकों ने ड्रेस क्यों नही खरीदी और अगर खरीदी है तो फोटो अपलोड करो।
शिक्षक :- सर किताब भी नही आई पढ़ाना है।
वरीय पदाधिकारी :- किताब तो आती रहेंगी , सर्वे वाला काम निपटाओ। BLO वाला काम भी तो कराना है SDM साहब का आदेश है।
शिक्षक :- सर अब ... ?
वरीय पदाधिकारी :- सारी ऑनलाइन ट्रेनिंग कम्प्लीट लिए की नही ... ? करो और यूट्यूब के सेशन छोड़ना नहीं है, जानते हो कि नही।
शिक्षक :- सर अब तो पढ़ा ले साल बीतने वाला है।
वरीय पदाधिकारी :- बोर्ड परीक्षा की ड्यूटी कौन करेगा ?
पढ़ाने के अलावा ऐसे अनेको क्षेत्र मे शिक्षक से काम करवाती है सरकार और बच्चे नहीं पढ़ पाते हैं, तो शिक्षक का दोष देती है यही सरकार और समाज।
(कुछ दिन बाद)
जांच कमिटी या मीडिया वाले:- तुम लोग पढ़ाते नही हो , इतनी खराब गुणवत्ता ... ? फ्री की तनख्वाह लेते हो।
एक समय था जब शिक्षक को भगवान से बढ़कर माना जाता था। अब यदि शिक्षक बच्चे की गलती करने पर अगर बच्चे को थोड़ा पिट देते हैं तो सरकार द्वारा कानूनी कारवाई की जाती है, साथ ही उस बच्चे के घर वाले पूरे गर्म मियाज मे बाँस लेकर उस शिक्षक को मारने/गाली देने पहुँच जाते हैं ।
कैसे होगा शिक्षा मे सुधार पहले बच्चे को पढ़ने के लिए स्कूल मे पुस्तके आती थी। अब सरकार पुस्तक नहीं देकर बच्चे के बैंक खाते में पैसा भेजती है, विडंबना यह है कि 80% बच्चे उस पैसे से पुस्तक नहीं खरीदते हैं। इसकी जाँच आप पड़ोस के बच्चों से पूछकर कर सकते हैं। 90% बच्चे के पुरे विषय का किताब नहीं होगा, अधिकतर बच्चे के पास 2-3 विषय का किताब होगा। 10% ही ऐसे बच्चे होंगे जिसके पास अपनी कक्षा का सभी विषय की पुस्तक होगी ।
©Kameshwar Sahani
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