सुना था उसके चाहने वाले हजार है
ना जाने हम भी कैसे, कब उन हज़ारों में शामिल हो गए
सोचा,था हम तो उसकी आंखो का तारा बनकर चमकेंगे
पर उन हज़ारों की भीड़ में हम भी कहीं खो गए
ना जाने वोह कब आंखो से ओझल हो गए
और हम वहीं खड़े,,, उन्हें ढूंढ़ते रह गए।।
©Sheetal Soni
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