Sachin Upadhyay

Sachin Upadhyay

उत्तर प्रदेश पुलिस। कवि ।गीतकार

https://youtube.com/@copsachinupadhyay?si=OcT9En1rIU99feqH

  • Latest
  • Popular
  • Video
#happy_independence_day  White जो मौन हुए भारत मां पर 
हम उनके गीत ना गा पाए 
वीरों के इन बलिदानों पर 
दो अश्रु न अपने बहा पाए 


हम लिपटे रहे आलिंगन में ,
प्रेयसी के झूठे बंधन में
श्रृंगार लुट रहा भारत मां का 
बिक गई जवानी कंगन में
जो दी थी जान शहीदों ने 
ना कफ़न भी उनका बचा पाए 
वीरों के इन बलिदानों पर 
दो अश्रु न अपने बहा पाए ।

©Sachin Upadhyay

उर छलनी कांटों से मेरा  तेरे पग पर फूल चढ़े थे  निपट अकेला वीराने में  सोचा भगवन साथ खड़े थे । टूट टूट बिखरा हर सपना  तूने छीन लिया हर अपना । बन अर्जुन गीता ज्ञान लिया था  कर्मों का फल मान लिया था  सब तेरी मर्जी बतलाकर  कब तक धैर्य बधाऊं  कैसे तुझ को शीश झुकाऊं। ©Sachin Upadhyay

 उर छलनी कांटों से मेरा 
तेरे पग पर फूल चढ़े थे 
निपट अकेला वीराने में 
सोचा भगवन साथ खड़े थे ।
टूट टूट बिखरा हर सपना 
तूने छीन लिया हर अपना ।
बन अर्जुन गीता ज्ञान लिया था 
कर्मों का फल मान लिया था 
सब तेरी मर्जी बतलाकर 
कब तक धैर्य बधाऊं 
कैसे तुझ को शीश झुकाऊं।

©Sachin Upadhyay

उर छलनी कांटों से मेरा  तेरे पग पर फूल चढ़े थे  निपट अकेला वीराने में  सोचा भगवन साथ खड़े थे । टूट टूट बिखरा हर सपना  तूने छीन लिया हर अपना । बन अर्जुन गीता ज्ञान लिया था  कर्मों का फल मान लिया था  सब तेरी मर्जी बतलाकर  कब तक धैर्य बधाऊं  कैसे तुझ को शीश झुकाऊं। ©Sachin Upadhyay

10 Love

 उर छलनी कांटों से मेरा 
तेरे पग पर फूल चढ़े थे 
निपट अकेला वीराने में 
सोचा भगवन साथ खड़े थे ।
टूट टूट बिखरा हर सपना 
तूने छीन लिया हर अपना ।
बन अर्जुन गीता ज्ञान लिया था 
कर्मों का फल मान लिया था 
सब तेरी मर्जी बतलाकर 
कब तक धैर्य बधाऊं 
कैसे तुझ को शीश झुकाऊं।

©Sachin Upadhyay

उर छलनी कांटों से मेरा  तेरे पग पर फूल चढ़े थे  निपट अकेला वीराने में  सोचा भगवन साथ खड़े थे । टूट टूट बिखरा हर सपना  तूने छीन लिया हर अपना । बन अर्जुन गीता ज्ञान लिया था  कर्मों का फल मान लिया था  सब तेरी मर्जी बतलाकर  कब तक धैर्य बधाऊं  कैसे तुझ को शीश झुकाऊं। ©Sachin Upadhyay

180 View

#Moon  White जला हुआ दिल  लिए जा रहे हैं 

खुद पता नही क्यों जिए जा रहे हैं

©Sachin Upadhyay

#Moon

189 View

#mountain  White मंजरी सी खिल उठी हो ,
मन किसी से मिल गया क्या ।
गीत नवरंग गा रही हो ,
मीत कोई  मिल गया क्या ।


थाम  कर दामन किसी का 
फिर भी अब तन्हाई क्यों है  
चुन लिया अपने स्वपन सा
चयन पर पछताई क्यों है 

आज नयनों में तुम्हारे,
अश्रु की जलधार क्यों है।
फिर मेरी खातिर ह्रदय में ,
प्रेम का उदगार क्यों है।
अब तुम्हें भी शख़्स कोई ,
अपने जैसा मिल गया क्या ।
गीत नवरंग गा रही हो 
मीत कोई मिल गया क्या ।

©Sachin Upadhyay

#mountain

126 View

White मंजरी सी खिल उठी हो , मन किसी से मिल गया क्या । गीत नवरंग गा रही हो , मीत कोई  मिल गया क्या । ©Sachin Upadhyay

#motivatation #Shayar #Moon #Dil  White मंजरी सी खिल उठी हो ,

मन किसी से मिल गया क्या ।

गीत नवरंग गा रही हो ,

मीत कोई  मिल गया क्या ।

©Sachin Upadhyay
Trending Topic