सीमा कोमरे

सीमा कोमरे Lives in Mohla, Chhattisgarh, India

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#कविता

खोई हूं मैं

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साहिल पे यू आसानी से जाना कोन चाहता है हम जवा अभी थके थोड़ी है ना उम्र हुई है किनारे में शांत बैठने की हमे तो अभी सागर के लहरों में नाव चलाना है उत्साह और उमंग को लिए मंजिल को पाना है। ©सीमा कोमरे

#शायरी #Flower  साहिल पे यू आसानी से जाना कोन चाहता है
हम जवा अभी थके थोड़ी है
ना उम्र हुई है किनारे में शांत बैठने की 
हमे तो अभी सागर के लहरों में नाव चलाना है
उत्साह और उमंग को लिए  मंजिल को पाना है।

©सीमा कोमरे

#Flower मंजिल

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मुझे खुद से मिलवाने के लिए, मेरी धड़कनों से मेरी मुलाकात करवाने के लिए , मेरी खामियों को मुझसे रूबरू करवाने के लिए शुक्रिया ए- जिंदगी शुक्रिया इसलिए की , मेरी इंसानी अहम को धूल चखाने में कामियाब हो गई तू ए - जिंदगी वरना कहा मैं खुद को पहचान पाती पूरी उम्र यू तलाश में गुजर जाती । कोन हु मै ओरो से पूछती रह जाती मेहरूम समझती थी मैं जिस मोहब्बत को खुद से उसकी झलक खुद में देखा कैसे पाती तुझ बिन ए - जिंदगी आज तक तूने बहुत कुछ दिया ,ओर जो ना दिया उसके लिए भी दिल से शुक्रिया ए-जिंदगी ©सीमा कोमरे

#शायरी #Flower  मुझे खुद से मिलवाने के लिए,
मेरी धड़कनों से मेरी मुलाकात करवाने के लिए ,
मेरी खामियों को मुझसे रूबरू करवाने के लिए 
शुक्रिया ए- जिंदगी
शुक्रिया इसलिए की ,
मेरी इंसानी अहम को धूल चखाने में
कामियाब हो गई  तू ए - जिंदगी
वरना कहा मैं खुद को पहचान पाती 
पूरी उम्र यू तलाश में गुजर जाती ।
कोन हु मै ओरो से पूछती रह जाती
मेहरूम समझती थी मैं जिस मोहब्बत को 
खुद से उसकी झलक खुद में देखा कैसे पाती 
तुझ बिन ए - जिंदगी
आज तक तूने बहुत कुछ दिया ,ओर जो ना दिया उसके लिए भी दिल से शुक्रिया ए-जिंदगी

©सीमा कोमरे

#Flower शुक्रिया ए- जिंदगी

13 Love

प्रिय , प्रियतम एक खत तुम्हारे नाम ,आज पहली दफा सरेआम बेनाम रिश्ता तुझ संग मेरा ,ख्वाहिश यही मिल जाए तेरे नाम से मेरे नाम । बिन बिहाये मांग सजाए कही हो न जाऊं R सी बदनाम ©सीमा कोमरे

#लव #Khat  प्रिय ,
प्रियतम एक खत तुम्हारे नाम ,आज पहली दफा सरेआम 
बेनाम रिश्ता तुझ संग मेरा ,ख्वाहिश यही मिल जाए तेरे  नाम से मेरे नाम ।
 बिन बिहाये मांग सजाए कही हो न जाऊं R सी बदनाम

©सीमा कोमरे

#Khat

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किसी को पता होगा तो मुझे भी कोई बता दो ,सारी दुनिया मेरे पीछे हाथ धोकर पड़ी है कमबख्त सारे के सारे मानो मेरी शादी का खाना न खायेंगे तो उन्हें मुक्ति न मिलेगी । ©सीमा कोमरे

#कॉमेडी  किसी को पता होगा तो मुझे भी कोई बता दो ,सारी दुनिया मेरे पीछे हाथ धोकर पड़ी है कमबख्त सारे के सारे मानो मेरी शादी का खाना न खायेंगे तो उन्हें मुक्ति न मिलेगी ।

©सीमा कोमरे

शादी का खाना

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जब माता शबरी की वर्षो की तपस्या पूरी होती है ,तब जब उन्हें प्रभु श्री राम के दर्शन होते है । और माता शबरी अपने जुठ्ठे बेर उन्हें खिलाती है ,उस दृश्य के कल्पना मात्र से ही मेरी आत्मा आनंदित हो जाती है। ©सीमा कोमरे

#पौराणिककथा  जब माता शबरी की  वर्षो  की तपस्या पूरी होती है  ,तब जब उन्हें प्रभु श्री राम के दर्शन होते है ।
और माता शबरी अपने जुठ्ठे बेर  उन्हें खिलाती है ,उस दृश्य के कल्पना मात्र से ही मेरी  आत्मा आनंदित हो जाती है।

©सीमा कोमरे

जब माता शबरी की वर्षो की तपस्या पूरी होती है ,तब जब उन्हें प्रभु श्री राम के दर्शन होते है । और माता शबरी अपने जुठ्ठे बेर उन्हें खिलाती है ,उस दृश्य के कल्पना मात्र से ही मेरी आत्मा आनंदित हो जाती है। ©सीमा कोमरे

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