कभी सफर करो महोदय,
कोरोना आई.सी.यू.में हमारे,
तब समझ पाओगे दर्द हमारा;
मुसाफिर हैं हम भी आपकी राहों में,
हम भी ना रहें तो बोलो, कौन करेगा इलाज़ तुम्हारा।
तुम , अपनी बात करते हो,
हम अपनों की बात कर रहे,
भटक रहे हम भी उन्हें लेकर, तुम्हारी तरह;
कहीं कोई हमारे परिजन को भी एडमिट नहीं कर रहा,
बड़ी कमी हो रही वेंटी ,ऑक्सिजन और बेड की,
रेमडेसीवीर भी नहीं मिल पा रहा कहीं, ........
हमें भी,...तुम्हारी तरह।
व्यर्थ लग रहा हमें भी, जो कमाये थे अब तक,
डिग्री,पैसा ,पॉवर, पोजीशन, तुम्हारी तरह,
कोरोना ने ऐसा विवश किया है मित्रों,
चलिए जाइये ,अपने मोहल्ले के नेता-मंत्रियों से ही पूछिये अब,
जिन्हें वोट दिया था आपने कभी,...सभी लोगों की तरह।
क्यों नहीं बना पाए, सरकारी अस्पतालों को ,अच्छा अब तक,
हाइली-इक्विप्ड-कोविड-मल्टीस्पेशलिटी की तरह;
क्यूँ नहीं दे पाए अब तक प्रॉपर कीट और सुरक्षा ,डॉक्टर्स को,
मज़बूर किये हैं हम सबको यहाँ, ...मरने के लिए कीड़े की तरह।
बताइये उन्हें, क्या है ज्यादा जरूरी ,चुनावी मैनिफेस्टो में इस बार ,
और पूछिये...चुनावी रैली, मेले ,दारू के ठेके ,...
कब बंद होंगे,...
हमारे उन स्कूल, कोचिंग, कॉलेजेस् की तरह;
बहुत हो गया अब तो सम्भल जाओ,
बहुत हो गया अब तो समझ जाओ ,
कोविड ना ठीक होगी ऐसे,....
बाबा के उस कोरोनिल ,और काढ़े से, सर्दी ज़ुकाम की तरह।।
------ #yoursआशीष ✍️😊😷
©Ashish Soni
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