*पर क्यों?*
सूरज ने हमें रोशनी दी,
नदियों-सरोवरों ने
पानी दिया,
पेड़-पौधों ने फल,फूल,हवा,छाया,सौन्दर्य दिया,
पक्षियों की चहचहाट ने सुकून दिया,
सबने अपने अपने सामर्थ्य से कुछ न कुछ दिया, दे रहे हैं।
कुदरत माँ है,
वह दाता है,
पर हमने इसे
क्या दिया?
कचरा,प्रदूषण, विवेकहीन दोहन!
पर क्यों?*
✒ *विश्वनाथ भाटी,तारानगर*
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