के, तेरे संग भीग जाना, देर तलक़, उस बारिश मे,
याद है मुझे, वो क़दम मिला कर चलना, उस बारिश मे...
थोड़ी सी बेपरवाही, ज़रा सा लड़कपन, हम दोनों मे,
क़ैद है वो लम्हे ज़हन मे, ख़ूब था मंज़र, उस बारिश मे...
तू भी मुझ सा पागल है थोड़ा, जान कर तसल्ली हुई,
ज़ब हुई बातें, बंद जुबां से, बेहिसाब, उस बारिश मे...
आख़िर सांस तक बसेरा तेरा ही होगा, हर इक सांस पे,
के, मैंने बहुत से ख़ामोश वादे किए है, उस बारिश मे...
©Bhushan Rao...✍️
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