#1
बहोत कुछ हैं दिल क़े पास बताने को,
कहाँ से शुरू करू इस तराने को,
हैं कुछ इच्छाएं अधूरी और उम्मीदों का जाल भी
अफ़सोस, कोई था नहीं ज़िन्दगी के बारे में समझाने को !!
तस्वीर में तेरी यूँ खो गया हूँ,
ख़्वाब भी सारे संग पिरो गया हूँ,
देख तो ज़रा आकर मेरा हाल ऐ कम्बख़्त
तेरे नाम से अब मैं मशहूर हो गया हूँ !!
#मेरी कलम से✍🏻
हक़ तो जता सकते है, मग़र इसके भी अपने उसूल हैं !
क्या अपनाना उन्हें, जिनकी नज़रो में हम उनकी एक भूल हैं !
महफिले तो बहोत सजा लेंगे आप हमारे बिना
महफिले तो बहोत सजा लेंगे आप हमारे बिना,
लेकिन याद रहे,
इस समंदर के बिना भी बड़े बड़े तालाब बेफिज़ूल हैं !!
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here