यूँ जो पलट कर तिरछी निगाहों से वार करती हो,
अच्छी लगती हो।
जब तुम ये "मरो न", "पगलाओ न" कहती हो,
अच्छी लगती हो।
.जब तुम मेरे प्यार को नहीं समझती हो,
तो थोड़ी अक्ल की कच्ची लगती हो।
पर जो भी हो तुम बड़ी सच्ची लगती हो।
देती हो हर रोज मेरे दिल के दरवाजे पर दस्तक,
वादे की तो बड़ी पक्की लगती हो।
देखती हो जब तुम ऐसे मुड़ मुड़ कर,
कसम से बहुत ही अच्छी लगती हो।
तुम मेरे दिल-ओ-दिमाग में हर जगह रहती हो,
छत पर भी शिकवा करता है मुझसे...
क्योंकि तुम मुझे चाँद से भी ज्यादा खूबसूरत लगती हो,
मुझे नहीं पता तुम मुझे देखकर मुस्कुराती हो या मुस्कुराकर देखती हो,
पर तुम जब भी मुस्कुराती हो,
अच्छी लगती हो💕
#प्रखर_पटेल
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