sukriti Rai

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I am keen of writing poems in Hindi by observing the nature around me I love painting and sketching I too sing and dance as my hobby I help people with disabilities and make them stand by their own on their feet I am NCC cadet and nss volunteer I enjoy listening soft music and also find of eating etc

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#Patta

#Patta

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दोस्त से प्यार दिल का ऐसा कोना है जिसमे वो प्यार सा दोस्त रहता है खिलने वाली कली नहीं एक महकने वाली फूलों का गोला है बिगड़े से संसार में खुशी वो भर जाता है जब हमारी गलती हो तो गले से लगाता है रातों के साए ऐसे ही नहीं हमने बिताए है एक दूसरे से प्यार करने वाले दोस्त हम ऐसे ही नहीं कहलाए है।

#frienship  दोस्त से प्यार दिल का ऐसा कोना है
जिसमे वो प्यार सा दोस्त रहता है
खिलने वाली कली नहीं 
एक महकने वाली फूलों का गोला है
बिगड़े से संसार में खुशी वो भर जाता है
जब हमारी गलती हो तो गले से लगाता है
रातों के साए ऐसे ही नहीं हमने बिताए है
एक दूसरे से प्यार करने वाले दोस्त हम ऐसे ही नहीं कहलाए है।

#frienship

5 Love

#abakele

#abakele

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अब अकेले मैं बैठना नहीं चाहती। अब अधूरे सपने मै देखना नहीं चाहती तेरे संग पूरे करना हर ख्वाब चाहती हूं अब अकेले मै बैठना नहीं चाहती तेरे साए के साथ रहना चाहती हूं अब अंधेरे से डर लग रहा है उजाले की आस चाहती हूं बिना तेरे अब नींद भी नहीं चाहती नींद में भी अब तेरा नाम पुकारती हूं हा पता है मुझे तुझे एहसास हो चुका है मेरे घटते बढ़ते सासों की गहराई का अब सांसे तेरे बिन मै लेना नहीं चाहती अब मेहसूस किया करती हूं तुझे अपनी सांसों में अब तुझसे खुदको दूर करना नहीं चाहती ध्यान से सुनो तुम्हारी हर सांस से जुड़े रहना चाहती हूं अब सब ठीक है लग रहा है सब ठीक है तुझसे बात किया करती रहती हूं बातों ही बातों में तुझसे हर वो बात उगलवा लिया करती हूं अब वो बातें तेरी मुझे दिन रात सताया करती है सताई हुई रातों को मै अकेले ही काटती हूं अब तुझसे दूर रहकर भी तुझे खुदके बहुत करीब मेहसूस करती हूं अब दिन बिता रातें बीती अब ये शाम अकेले मै काटना नहीं चाहती अब तेरे बीन अकेले मै बैठना नहीं चाहती।।

#abakele  अब अकेले मैं बैठना नहीं चाहती।
   
अब अधूरे सपने मै देखना नहीं चाहती 
तेरे संग पूरे करना हर ख्वाब चाहती हूं
अब अकेले मै बैठना नहीं चाहती
तेरे साए के साथ रहना चाहती हूं

अब अंधेरे से डर लग रहा है
उजाले की आस चाहती हूं
बिना तेरे अब नींद भी नहीं चाहती 
नींद में भी अब तेरा नाम पुकारती हूं

हा पता है मुझे तुझे एहसास हो चुका है 
मेरे घटते बढ़ते सासों की गहराई का
अब सांसे तेरे बिन मै लेना नहीं चाहती
अब मेहसूस किया करती हूं तुझे अपनी सांसों में
अब तुझसे खुदको दूर करना नहीं चाहती
ध्यान से सुनो तुम्हारी हर सांस से जुड़े रहना चाहती हूं

अब सब ठीक है लग रहा है सब ठीक है
तुझसे बात किया करती रहती हूं
बातों ही बातों में तुझसे हर वो बात उगलवा लिया करती हूं
अब वो बातें तेरी मुझे दिन रात सताया करती है
सताई हुई रातों को मै अकेले ही काटती हूं 
अब तुझसे दूर रहकर भी तुझे खुदके बहुत करीब मेहसूस करती हूं
अब दिन बिता रातें बीती अब ये शाम अकेले मै काटना नहीं चाहती 
अब तेरे बीन अकेले मै बैठना नहीं चाहती।।

#abakele

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#चाहत

लालच नहीं है किसी चीज की मुझको बस खुदको चाहत की बेबसी मेहसूस करती हूं सुकुन थोड़ा मिल जाए इस बेबस से दिल को बस इसी सुकून की चाहत रखती हूं जब दर्द बढ़ जाता है तब किसी और चीज का खयाल नहीं होता खयाल का क्या है वो तो आता जाता रहता है बस इसी खयाल का खयाल करती रहती हूं मै भी ना जाने किस सोच में डूबी रहती हूं डूबने से डर नहीं लगता अब मुझको जब तू होता है सामने तब फ़िक्र नहीं होती मुझको इस फ़िक्र की क्या बात करू मै इसी फ़िक्र की मारी मारी फिरती हूं बस तुझसे ही ये सवाल करती रहती हूं। मुझे मालूम है कि कुछ सोचने की जरुरत नहीं समझता है तू पर क्या करे हमने इसी सोच पर तुझे पाया है जहा भी से नजर घुमाई बस तुझी में खुद को पाया है अब तुझसे मिलकर खुदको पाती रहती हूं बस यही सवाल हमेशा से मै खुदसे पूछती रहती हूं। लालच नहीं है मुझको तेरे इश्क़ की बस खुदको इश्क़ की अधूरी सी समझती हूं क्या करू इस दिल का मै क्या करू इस बेपर्वाने दिलका मै बस यही सोचती रहती हूं बस यही एक सवाल है जो खुदसे हमेशा पूछती रहती हूं।।

#तुझसे  लालच नहीं है किसी चीज की मुझको
बस खुदको चाहत की बेबसी मेहसूस करती हूं
सुकुन थोड़ा मिल जाए इस बेबस से दिल को
बस इसी सुकून की चाहत रखती हूं

जब दर्द बढ़ जाता है तब किसी और चीज का खयाल नहीं होता
खयाल का क्या है वो तो आता जाता रहता है
बस इसी खयाल का खयाल करती रहती हूं
मै भी ना जाने किस सोच में डूबी रहती हूं

डूबने से डर नहीं लगता अब मुझको
जब तू होता है सामने तब फ़िक्र नहीं होती मुझको
इस फ़िक्र की क्या बात करू मै
इसी फ़िक्र की मारी मारी फिरती हूं
बस तुझसे ही ये सवाल करती रहती हूं।

मुझे मालूम है कि कुछ सोचने की जरुरत नहीं समझता है तू
पर क्या करे हमने इसी सोच पर तुझे पाया है
जहा भी से नजर घुमाई बस तुझी में खुद को पाया है
अब तुझसे मिलकर खुदको पाती रहती हूं
बस यही सवाल हमेशा से मै खुदसे पूछती रहती हूं।

लालच नहीं है मुझको तेरे इश्क़ की 
बस खुदको इश्क़ की अधूरी सी समझती हूं
क्या करू इस दिल का मै
क्या करू इस बेपर्वाने दिलका मै
बस यही सोचती रहती हूं
बस यही एक सवाल है जो खुदसे हमेशा पूछती रहती हूं।।
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