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CIVIL SERVICE ASPIRANT
आरज़ू जिस्म की वो करे, जिसे रुह की परवाह नहीं । एक उनकी मुस्कान से बढ़कर, इस दिल की कोई चाह नहीं | ©PRANAV PAWAR
PRANAV PAWAR
11 Love
" माँ का आदेश था कभी छूना ना आग, पर बच्चा मनमौजी तैश जब खा गया । माँ की फिक्र को कैद मान बैठा वो पगला, जब दिल-ऐ-नादान उसका रोशनी पर आ गया । कोई कैसे छीन सकता ये आजादी उसकी, फैसला लेने का अपना भूत उसपे छा गया । समझ पाता जब तक भेद फिक्र और कैद में, आग छूते ही चंद लम्हों में खाक में समा गया । " ©PRANAV PAWAR
10 Love
जब प्यार, इजहार, इकरार हुआ , आखिर लगा जैसे वो मिल ही गया । बरसो से मुरझा दिल था मेरा , उसे पाकर दो लम्हा खिल ही गया । पर उसके इश्क से गहरी नींद थी मेरी , ख्वाब टूटा दिल सिहर के हिल ही गया । जब प्यार, इजहार, इकरार हुआ , आखिर लगा जैसे वो मिल ही गया । ©PRANAV PAWAR
6 Love
" वो इश्क ही क्या जो सूरत से किया, कभी सीरत से दिल लगा कर तो देखो । जिस्मों की चाहत तो सब करते है प्यारे, कभी रूह से रुह मिलाकर कर तो देखो ।। अच्छाइयों की उनकी ना जानें कितने है दीवाने, कभी कमियों संग उनको अपनाकर तो देखो । जो मतलब से हो वो इश्क, इश्क नही प्यारे, कभी बेमतलब से इश्क लूटा कर तो देखो ।। " ©PRANAV PAWAR
कहीं पर्वत के पांव तले, एक प्यारा आशियां हमारा हो । जब जब भोर में नैन खुले, हमे बस दीदार तुम्हारा हो ।। ©PRANAV PAWAR
" Duniya jaane teri himmat par mai jaanu tu kamzor hai, Tere chehre pe hai khamoshi par tere dil me ab bhi shor hai "
7 Love
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