ये अवचेतन मन कभी कभी सोने नही देता
कभी जिम्मेदारीयो की चिंता लिये,
कभी मनघड्त कहानियों को पिरोये,
मेरी आँखों मे सपनो को खोने नही देता
ये अवचेतन मन मुझे सोने नही देता
कभी सपनो पर बेड़ीयाँ लगाये
कभी विचलित मुझे कर जाये
सपनो मे उडानो को भरने नही देता
ये अवचेतन मन मुझे सोने नही देता
घडी की टिक टिक के साथ चलती ज़िंदगी और
तेज़ रफ़्तार से चलते समय,
दोनो के साथ भागने नही देता
ये अवचेतन मन कभी कभी सोने नही देता
आंखॆ मुन्द कर जीवन कि खटपट
और आंखॆ खोल समय को सरपट,
ये रुकने नही देता
ये अवचेतन मन कभी कभी सोने नही देता
ये अवचेतन मन कभी कभी सोने नही देता
©Yashvi dhruv prakash
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here